Monday, December 15, 2008

पाक ...या ना पाक??


पकिस्तान इस समय बरगलाया हुआ सा है, सबूत पे सबूत मांगे जा रहा है। ये सबूत सबको दिखायी दे रहे है, मगर पकिस्तान को नही, उसने जैसे माँ की कसम खा राखी है, की में अंधा था और अंधा ही रहूँगा। अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सभी यह जानते है की पकिस्तान ने आतंक को मिटाने की लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया है , मगर सभी ने आंखे मूँद राखी है, क्यूंकि अब भारत ने कड़ा रुख अपनाया है तो कही कही से आवाजे आ जाती है।
फिलहाल अगर मुंबई हादसे की बात करे तो पकिस्तान को अभी भी सबूतों की दरकार है और भारत
(
हिंदुस्तान, पकिस्तान भारत को कभी भी भारत की बजाय हिंदू-स्तान कहता है और क्यो कहता है, ये अब शायद आपको पता चल गया होगा. )
कभी भी सबूत पेश नही करता ,हवा में तीर चलाता है,कुच्छ भी हो पकिस्तान का नाम आ ही जाता है।
लेकिन भारत ने हमेशा तो सबूत दिए है और इस बार भी सबूतों का भण्डार है-
  1. पकिस्तान के जीयो चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया-जिसमे मोहद. कसब जो पाकिस्तान के फरीदकोट मेंरहता है,(मुंबई हमले में जिंदा पकड़ा आतंकी) ने दिखाया की उसके पिता ने उसे पहचाना है और कहा है की वो ईदके दिन घर से भाग गया था ,क्यूंकि वो गरीब है और उसे नए कपडे नही दिला सकता।
  2. हमले के दौरान जो मोबाइल फोन आतंकियों से गिरा था उसमे पकिस्तान से लगातार फोन आ रहे थे।
  3. उनके आने का रास्ता जो की समुद्र से था , कुबेर नाम की बोट से आए थे ,वहा मिली डायरी से जो जानकारी मिली है साफ़ बताती है की वो पकिस्तान से सम्बंधित है ।
  4. कसब से अभी तक जो भी जानकारी मिली है उसने खुलासा किया है की उसे ट्रेनिंग लश्कर ने दी है। लश्कर पकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन है ।
  5. सबसे बड़ा खुलासा तो कसब ने अभी लिखी चिट्ठी में किया है की पकिस्तान उसे स्वीकारे ,वो पाकिस्तानी नागरिक है।
सारे देश ये अच्छी तरह से जानते है pakistan आतंक को पनाह दे रहा है ..फ़िर भी इसके ख़िलाफ़ कोई भी कार्यावाही से सब इतने विचालिती क्यो है, इतनी में तो अमेरिका ने इराक का नामोनिशान मिटा दिया था , फ़िर भारत अगर कोई कार्यवाही करे तो क्या वो आतंक के ख़िलाफ़ लडाई नही होगी?? इतनी सबूत काफ़ी नही है ..हर घटना के बाद हम सबूत देते आए है , इस बार भी कोडोलिजा राइस को को सबूत दिए है ,यू के को भी सबूत दिए है..मगर पकिस्तान को सबूत तो नही दिखते॥
और तो और पाकिस्तानी मीडिया भी दोगला रवैय्या अपनाता हुआ दिख रहा है..वो भी यही कहता है की इसमे पकिस्तान का हाथ नही है,वो सभी आतंकी हिंदू है -सुन् के हँसी भी आती है और गुस्सा भी..
वो कहते है उनकी बोल चाल की भाषा पाकिस्तानी नही है,उनके मुताबिक उनके हाथ में भगवा ध्हागा बंधा हुआ है जो साबित करता है की उनका पाक से कोई नाता नही है..तो क्या जीयो टीवी(एक का कहना कुछ तो दूसरा कुछ) का स्टिंग ऑपरेशन ग़लत है??

भारत पकिस्तान पर हमला बोल सकता है ..मगर परमाणु युद्ध की आशंका है..क्यूंकि पकिस्तान को अपनी हार टालने के सिवा और कोई चारा नही है..भारत अपनी जिम्मेदारी सझता है इसीलिए अभी तक ऐसा कोई कदम नही उठा रहा है ..मगर इसे हमारी लाचारी न समझे !!

Thursday, December 11, 2008

Google Releases India Zeitgeist for 2008...


Google offers a unique perspective on the year's major events and hottest trends based on searches conducted by users in India..
The 2008 year-end India Zeitgeist offers a unique perspective on the year's major events and hottest trends based on searches conducted by users in India.

While developing the 2008 report, Google analyzed various aspects of the search queries to understand what was on the minds of Internet users in India. The search giant has retrieved the most frequently-searched terms for the period across many categories like Bollywood Celebrities, Holiday destinations, etc.

In addition, Google has also looked at the top 10 fastest rising search words in India. Also, they ve included the top queries searched for on the mobile.

Here are some of the findings (as declared by Google):

- YouTube becomes the fastest rising search term in 2008.

- Katrina Kaif is the most searched person in India.

- Increased attention around the Sixth Pay Commission.

- Social networking is the most popular way of connecting with people, even more than email.

- The Indian Railways website sees huge traffic, showing Indian users would rather go online than stand in long queues at railway stations.

- Mobile optimized websites like Waptrick and mobile games are becoming very popular.

- Orkut and Gmail remain the most popular networking and communication properties for Indian users.

- Presence of three email services on this list shows increasing adoption of Internet on mobile. People are using their mobiles to email, to check cricket scores, latest news and to know more about Bollywood celebrities!

- Actresses hold the spotlight this year. The interest around Katrina, Aishwarya and Salman is still going strong.

- Shahid makes his debut on our list, while Salman Khan maintains his online popularity over King Khan.

- The Internet seems to be the one-stop shop for all your needs, with Beauty, Love and Money - in that order, 'weighting' on our minds!

- Tennis star Sania Mirza tops the list showing that cricket is not our only passion!

- 3 Gandhis on this list, showing that Gandhigiri rules Indian minds.

- American politics seem to have found its way East with Sarah Palin more searched than Obama!

- Bollywood is the king in India! It s interesting to see that audience interest is going beyond song-and-dance sequences.

- Noteworthy is the # 2 slot retained by Tamil cinema.

- Goa becomes everyone s favorite destination.

- Like last year, foreign destinations are just as popular this year.

- National pride and love for India is still the strongest.

- India with all its festivals still finds time for all these days showing marketers that their work is paying off!

- Welcome to the new face of the Indian Government! Indian users are looking for more information and access.

सिंघासन का सेमीफाइनल ...या सत्ता का नया समीकरण??

दिल्ली , छत्तीसगढ़ , राजस्थान , मध्यप्रदेश ,और मिजोरम की सत्ता का फ़ैसला तो हो गया है॥
दिल्ली में जहा शीला आंटी कुर्सी पर विराजेंगी, वही मध्यप्रदेश में पैदल-पाँव वाले भाईसाहब यानी की शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री होंगे..चावल वाले बाबा यानी रमण सिंह जी को भी गद्दी मिल जायेगी मगर राजस्थान का मुख्यमंत्री कोन होगा?? कुर्सी एक उम्मीदवार पाँच और एक भी कुर्सी के लायक नही है...यही जनतंत्र की विशेषता है..पाँच -छेह महीने बाद लोक सभा का चुनाव भी होना है..ऐसे में किसको खुश रखे और किस्से मोह भंग करे बड़ी मुश्किल में hai कांग्रेस ...शीश राम ओला ,अशोक गहलोत ,गिरिजा व्यास, सी. पी.जोशी(दौड़ में पीछे है) , और सोना राम जी ।
सोना राम jee ने जात-पात की दुहाई देते ही कह दिया है की कायस्थ , माली , ब्राहमण , सब बन चुके है अब्ब जाट की बारी है..(चाहे वो जाट nakabil ही क्यों न हो) शीश राम ओला के मुह से शब्द निकलते नही है- उनकी आधी बात उनके मुह में रह जाती है और आधी बात समझ नही आती है..गहलोत चाहे कुच्छ न कहे मगर लड्डू तो उनके मन् में भी है..और बीच में गिरिजा व्यास ना जाने कहा से आ टपकी।
अगर जाटों को नाराज़ कर दिया तो इसका सीधा असर लोक सभा चुनावों में दिखेगा ..शायद महारानी (वसुंधरा राजे) इस बात को जान गई है..और तुष्टिकरण के सिवा और कोई चारा भी नही है..महरानी की गद्दी जाट समीकरणों के वजह से भी गई है ॥ खैर पार्टी की मीटिंग जारी है..सभी lobbying कर रहे है...और सबका यही कहना है फैसला आलाकमान करेगा॥ मगर क्या जनता सो रही है ?? क्या मुख्यमंत्री को उसकी जाती के आधार पर चुना जाना ठीक है?? उसकी बौधिक्क क्षमता पर नही?? महाराष्ट्र में भी यही हो रहा है॥ कांग्रेस ने क्षेत्रवाद को काउंटर करने के -की भाई हम भी मराठियों की सोचते है सभी मंत्री मराठी ही रखे है...ऐसा किस लिए??
जाती को काउंटर करने के लिए उस का मुख्यमंत्री चुन् लेना ही आजकल समझदारी वाला निर्णय माना जा रहा है..ऐसा सिर्फ़ एक पार्टी के बारे में नही है..दुसरे भी शयद इस समय इसी मुद्दे को ऐसे हे काउंटर करते...क्यूंकि इसी में फायदा है..और फायदा ही सब कुछ है॥

वही बात मिजोरम की -- कांग्रेस का दब दबा कायम है॥ भा.जा.पा.का पता हमेशा की तरह साफ़ है..मगर हमारी मीडिया ने हर राज्य के चुनावों को अच्छी तरह से भुनाया मगर वही मिजोरम कुच्छ अलग थलग सा पडा है--क्यो?? वह के लोगो की प्रतिक्रिया भी शायद टी.आर.पी के लायक नही होगी ? एक भी दृश्य वह का नही दिखा सिर्फ़ ग्राफिक्स के जरिये ही वहा का हाल पता चला..वाह रे मीडिया के बुद्धिजीवी लोगो, शायद इसी कारण से वह पर अलगाव होने का दबाव है..लोग हमसे जुदा महसूस नही करते और seperatist tendency वहा उफान पर है..कोन सा नेता अपनी चुनाव प्रचार के लिए waha गया ..कोई गया ?? कोई भी नही... पता नही कब ये पूर्वोत्तर राज्य हम से kat कर अलग गिर जाए और हम मुह ताकते रह जाए....!!

इन् चनावों में हाथी की चाल एक दम मदमस्त थी॥ वोट बटोरे नही, मगर काटे ज़रूर और जहा सीट मिली वो बोनस अलग से था..इस चुनाव में मैडम माया की माया ने सबके चुनावी गठजोड़ की हवा ढीली कर दी..जहा उम्मीदवारों का जीता जाना तय माना जा रहा था वहा वोट कटे और जीत कोई और गया...भाई साहब अगर दलित को नज़रंदाज़ कब तक करोगे? उसे भी अपना एक विकल्प मिल गया है ..विधान सभा चुनावों में बहुजन पार्टी ने कई जगह सीट ली है और उनकी पार्टी का ग्राफ भी धीरे धीरे बदता जा रहा है---और इस मुसीबत को काउंटर करने के लिए पार्टिया कोन सा विकल्प तैयार कर रही है ये कोई नही जानता या फ़िर कोई कर नही पा रहा...
वोटरों की बात करे तो वो भी बडे समझदारी से निर्णय ले रहा है ..अपना फायदा उसे भी पता है..छत्तीसगढ़ और जम्मू कश्मीर में वोटरों की संख्या देखे तो वो सराहनीय है॥ जहा छ: गढ़ में नक्सल की गतिविधिया है वही जम्मू में आतंक का साया है लोग फ़िर भी उत्साहित थे ...यहाँ एलेक्शन कमीशन की भूमिका भी सराहनीय है
खैर बात जो भी हो...फिलहाल अब देश की राजनीति का एक मुख्या बिन्दु जात-पात भी है ..हम हमेशा से घमंड करते आए है की हमारे देश ने इतनी धरम और इतनी भाषाए है ..मगर ये सब हमे एक हाशिये की तरफ़ धकेल रहे है जिसके लिए शायद हम तैयार हो रहे है..
आगे देश की राजनीती की रणनीति इन्ही समीकरणों पर टिकी होगी की किसे खुश करना है किसे नही॥
सत्ता के सेमीफाइनल ने एक final mesej तो जरुर दिया है ..की आगे सत्ता के नए समीकरणों की आधारशिला क्या होगी॥
एक सवाल ...ऐसे में आम जनता की क्या भूमिका होगी?? क्या वो एक दर्शक मात्र ही रहेगा?? क्या वोट देने के बाद उसकी जिम्मेदारी ख़तम हो जाती है??

Tuesday, December 2, 2008

अच्युतानंदन सही कह रहे है..!!





केरल के मुख्यमंत्री श्री श्री अच्युतानंदन जी सही कह रहे है...
आपने ठीक तो सुना है ..उन्होने कहा की अगर "मेजर सनदीप उन्निक्रिशनन शहीद होते..या फ़िर कोई आम आदमी शहीद होता तो उसके घर कुत्ता भी नही जाता. उन्नीकृष्णन के पिता ने जिस तरह से मुख्यमंत्री साहब को घर से भगाया वो ज़रूर आत्मा को शान्ति देता है..एक शहीद की मौत पर सियासत शायद यही अंजाम देगी.... "" यहाँ जादा आपात्ति जनक शब्द ""कुत्ता"" ही है ,

क्यूंकि आम आदमी की हैसियत तो कुत्ते से भी जादा ख़राब है..जब मनन में आया लोल्लिपोप दिखाई और वोट मांगने चले आए..आख़िर वो एक जानवर ही तो है ..जिसने अपना विवेक इस्तेमाल किए बगैर ऐसे लोगो को कुर्सी दिला दी है जो की उस लायक तो कभी भी नही थे॥

ऊपर से मुख्तार अब्बास नकवी साहब उन्हे तो हमारी महिलाओं का गुस्सा भी लिपस्टिक वादी महिलाये कह कर अलगाववादी कह दिया ..ये औरते कुछ नही कर सकती ॥

आर आर पाटिल साहब-इन्हे तो हिन्दी तो नही आती ,हमारी देश की rashtra भाषा , उप्प मुख्यमत्री ने ऐसे तो मुह से निकाल दिया की
ये
तो छोटी घटना है ..बाद में इसका मतलब उन्हे अपनी कुर्सी चुका के दिया।


सलीम जी-सी पी आई नेता ..इन्होने भी उन्नीकृष्णन के पीता को मानसिक रोगी..पागल कह दिया...
आख़िर मुख्यमंत्री को कोई घर से भगाता है भला...

हमरे नेता लोग जब बोलते है तो वही पुरानी टीका टिपण्णी करते है..हेमंत करकरे की पत्नी ने मोदी जी की १ करोड की madad को मुह पे वापस कर दिया..ये वही मोदी है जो हेमंत karkarey का नार्को टेस्ट करने की बात कह रहे थे...
नेता बदल जाते है मगर इरादा और बयान नही.

किसी ने कभी कहा था-
शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालो का बाकी यही निशाँ होगा....


हमारे नताओं को सलाम...